Tuesday, October 25, 2011

अंधेरों की हलचलों में रोशनी पैदा करें

रोशनी की शुभकामनाएं
                       
(मजे की बात यह है कि आज अपने 54 साल पूरे हो गए)

अंधेरों की हलचलों में रोशनी पैदा करें
देश के सारे जिलों में रोशनी पैदा करें

जगमगा उठ्ठे जमीनें दीयों सी हर गांव में
अब किसानों के हलों में रोशनी पैदा करें

जहां बढ़ते हैं शिकारी अंधेरों के जाल ले
उन उनींदे जंगलों में रोशनी पैदा करें

बांट लें हर एक की तकलीफ अपनेआप हम
इस कदर अपने दिलों में रोशनी पैदा करें

जिंदगी मुश्किल सही पर ये क्या कम है दोस्तों
हम हमेशा मुश्किलों में रोशनी पैदा करें
                
                     (बरसों पहले एक दिवाली पर)
रोशनी को और क्या क्या चाहिए
तेल, बाती और दिया चाहिए

झिलमिलाते रहें दिये आंगनों में
और लइया की पुटरिया चाहिए

जगमगा उट्ठे रंगोली के रंग
आज इस आंगन को बिटिया चाहिए

घर के माथे पर चमकती जुगनुएं
और पांवों में पैजनिया चाहिए

तेज होती है अब दिये की लौ
और क्या तुझको सजनिया चाहिए

                                 26 अक्टूबर, 2011

4 comments:

  1. कहते हैं हम तहे दिल से
    खुशियां मिलें आपको सारी।
    लगती रहें हर कदम पर
    यूं कामयाबियों की अंबारी।
    जन्मदिन मुबारक हो।
    और दिवाली भी।

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  2. प्रिय नरेंद्र
    जन्म दिवस और दीपवाली की हार्दिक शुभकामनाये

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  3. Han Bhai, Badhai-Janam Diwas evam Deepawali.

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  4. Mujhe yad hai,Shayad 2002 ya 2003 me Dilli ki Sadko par kohre me Ghoomte hue,Tumne dilli ke kohre ka lamba Vaenan kiya tha.Aajkal Phir waisa hi mausam hai,Kya kuchh likha gya hai?

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