Monday, October 3, 2011

किसान मजदूर संगठन के नेता पर पुलिसिया हमला बनाम मार न डंडा रे

           यह संभवतः 1989 की घटना है। जब जुन्हैटा में पुलिस ने किसान मजदूर संगठन के लोगों पर हमला कर दिया था। पुलिस ने मोहम्मद आजाद को बंदूक का कुंदा मारा था और हरगोविंद को गिरफ्तार कर लिया था। गांव के लोगों ने पुलिस को घेर लिया, तब हरगोविंद ने लोगों को समझाया और संघर्ष जारी रखने का एलान किया। यह शाम की घटना थी। हम रात भर पता करते रहे कि हरगोविंद को पुलिस ने कहां रखा है, लेकिन पता नहीं चला, होशंगाबाद के दोस्तों ने बताया पुलिस उसे लेकर वहां नहीं पहुंची। हम सब मित्र रात भर परेशान रहे। सुबह पता चला कि पुलिस ने हरगोविंद को रात भर सोहागपुर थाने की हवालात में रखा था।
          इस मुद्दे को लेकर समता संगठन और किसान मजदूर संगठन ने प्रदर्शन किया और पिपरिया के मंगलवारा चैराहे पर थाने के सामने आमसभा की। इस मौके के लिए मैंने एक गीत लिखा जो बहुत लोकप्रिय हुआ। प्रदर्शन के दिन इस गीत का बोलबाला रहा। आमसभा शुरू होने से पहले मंच से यह गीत सुनाया गया और गजब हो गया। लोग गीत दोहराने लगे। दस मिनट का गीत करीब आधे घंटे तक गाया गया। थाने के सामने पानी का टैंकर खड़ा था। लोग उस पर चढ़ गए और नाच-नाचकर लगातार मार न डंडा रे गाते रहे। बड़ी मुश्किल से लोगों को रोका और आमसभा की कार्यवाही शुरू हो पाई।

यहां प्रस्तुत है वह गीत -

मार न डंडा रे
मार न डंडा रे
पुलिसिये, मार न डंडा रे
फूट गया जनता के सामने
तेरा भंडा रे....
जुल्मिये मार न डंडा रे.......

तू इस मेहनतकश को जनता को लूटे, मारे, खाये
बनते देख के इनका एका तू कैसे घबराये
भरने लगा है देख तेरे अब पाप का हंडा रे......

देखो सत्ताधारी डाकू जंगल में घुस आयें
भोली भाली जनता को ये देख देख गुर्रायें
सच की छाती पे मारें बंदूक का कुंदा रे......

तेरे झूठ का इक दिन हम मिलकर जवाब दे देंगे
तेरे इक इक अन्याय का गिनकर बदला लेंगे
तेरे डंडे में बांधेंगे अपना झंडा रे.....

मार न डंडा रे जुल्मिये
मार न डंडा रे
फूट गया जनता के सामने
तेरा भंडा रे........

3 comments:

  1. bahut khub, yah geet aaj bhi utna hi pranangik hai jitna 1989 me raha hoga.

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  2. Bahut dino se koshis kar rha tha.Pta nhin kya kuchh ho rha tha,per Comment post nhin ho pa rha tha.
    Purani yaden Taza ho gain.Us samay sub log pareshan the.Bda tanaav tha.Pipariya me Aamsabha hui.Kai logo ne Bhashan diye.Tumne unhi dino ye geet rcha tha.Gaya bhi Dil se tha.Sabke man ke Bhavon ko Sabad mil gye.Sangharsh aage jari rha.Achchha lga,ek bar phir sub kuchh Aankhon me ghoom gya.

    Mukesh Bhargava.

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  3. jo log atit ki yodon ko sjoy rakhte hain ve hi desh v samaj ke liye kuch kar sakte hain

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