Friday, March 15, 2013

दादू ...दादू...दादू

हम पर भी जंचती है दादू की टोपी
दादू उठो, गौरव आ गया न
दादू समझा करो न।
सुबह निहायत ही मीठी आवाज के साथ मेरी नींद खुलती है। वह नन्हा फरिश्ता जोर से आवाज लगाता है दादू...दादू... दादू....। कभी मेरी नींद खुल गई तो मैं दरवाजा खोल देता हूं या उसके चाचू या आंटी दरवाजा खोल देती हैं। वह सीधे मेरे दीवान के बगल में रखी कुर्सी पर बैठता है और फिर कहता है दादू गौरव आ गया। उसके चेहरे पर निगाह पड़ते ही नींद गायब हो जाती है।
मोबाइल पर खेल, अमल चाचू के साथ
उस नन्हे चेहरे पर फूल सी मुसकान और आवाज में ऐसा मीठा जादू कि वक्त भी ठहर कर सुनने को मजबूर हो जाए। वह लगातार बोलता है। मुसकान शरारत की तरह उसकी आंखों से झांकती रहती है। वह फिर सुर लगाता है जूता उतार दो न। वह मेरे बिस्तर पर आना चाहता है। दूसरी तरफ एक खिड़की है। वह खिड़की के पास खड़ा होता है और खुशी से चहकता है दादू कबूतर आ गया। कई बार मैं गहरी नींद में होता हूं और वह मेरी सवारी करता हुआ मुझे जगाता है ‘दादू गौरव आ गया न।’
अबीर चाचू के साथ मस्ती
कुछ हमको भी तो बताओ दादू
ढाई साल का यह बच्चा जैसे सचमुच मेरा पोता बन गया है। मेरे घर का नया सदस्य। वह पूरे अधिकार के साथ बात करता है। और मुझे तो वह नन्हे फरिश्ते की तरह लगता है। उसके लिए वह सब कुछ करने को मन करता है जिससे उसकी आंखों की चमक बढ़ जाए। उसकी बातें परीलोक जैसी लगती है। लगता है वह बोलता रहे और हम सुनते रहें। मजे की बात यह है कि वह इस बात को जानता है  इसलिए लगातार बतियाते रहता है। उस वक्त मुझे लगता है मैं कुदरत का सबसे मीठा गीत सुन रहा हूं। जीवन का यह संगीत मुझे दूसरी ही दुनिया में ले जाता है।
आंटी ने बांध दी चोटी
यह नन्हा फरिश्ता मेरे सामने वाले फ्लैट में रहता है। उसका नाम गौरव है। वह अभी कुल ढाई साल का है। उसकी आवाज में गजब की मिठास है। वह धीरे धीरे कुछ तुतलाकर कुछ साफ मगर पूरे मनोयोग से बात करता है। मेरी पत्नी को वह आंटी कहता है। मेरे बेटे उसके अबीर चाचू और अमल चाचू हैं। वह अपना नाम बताता है ‘गौरव मिचला (मिश्रा) पापा का नाम धर्मवीर मिचला और मम्मी का नाम आरती मिचला।
उसकी दादी गांव में रहती है। उसकी मम्मी का कहना है कि गौरव के दादू नहीं है, लेकिन उसे दादू का प्यार मिलना था इसलिए अंकल मिल गए। ये लोग मिथिलांचल, बिहार के हैं। मां मधुबनी की और पिता सीतामढ़ी के। घर में गौरव से मम्मी-पापा मैथिली में बात करते हैं और दादू के यहां सब हिन्दी में बात करते हैं। अब गौरव बातचीत में मैथिली और हिन्दी दोनों का इस्तेमाल करता है। आंटी ने उसे मछली रानी और मुर्गी मां वाले दो गीत याद करवा दिए हैं। वह दोनों गीत इतने दिलकश अंदाज से सुनाता है कि आप निहाल हो जाएं। उसका डांस भी उतना ही दिलकश होता है। कई बार वह मुझे अपने दोनों बेटों का बचपन याद दिला देता है।
आप भी अखबार पढ़ो दादू और हम भी पढ़ेंगे 






2 comments:


  1. गौरव का आना, आपके लिए, आपके बच्चों का बचपन और नटखटपन, याद दिलाने में कामयाब होगा !

    इनकी निश्छल हँसी, हम बड़ों के वैमनस्य और दिखावेपन से कोसों दूर है !

    आपको देखकर इनके आँखों में जो चमक आती है शायद बरसों से आपने महसूस नहीं की होगी !

    यह प्यार दुर्लभ हैं! इन क्षणों को सहेजियेगा ...

    बधाई और शुभकामनायें !

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  2. दादू जी नमस्‍कार...चलो दादू बनने की रिहर्सल तो हो ही गई...

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