Saturday, January 1, 2011

नए साल की धूप

1
पत्ता पत्ता देखती चिड़िया अपना रूप
आंगन में नाचत फिरी नए साल की धूप

ऊंचे पर्वत पेड़ से, नीचे धरती दूब
सबको दुलराती चली, नए साल की धूप

गली मुहल्ले के सभी, बच्चे खेलें खूब
टप्पा खाए गेंद बन, नए साल की धूप

बीते दिन पत्थर भये, गए नदी में डूब
मछली बन तैरी मगर, नए साल की धूप

बांध के पानी खींचती, रस्सी गहरे कूप
ऐसे मन को बांध ले, नए साल की धूप

हवा चली और उड़ गई, बीते दिन की ऊब
ऐसे कुछ गरमा रही, नए साल की धूप

2
दिल में उतर के प्यार जगाए नया बरस
पिछले बरस के दाग मिटाए नया बरस

आखिर वो उनके चेहरे की मुसकान बन सके
अब मुफलिसों पे जुल्म न ढाए नया बरस

लाशों में ढंढ़ते हैं जो हर मसअलों का हल
उन सिरफिरों को राह बताए नया बरस

मंदिर और मस्जिदें तो यहां बहुत बन चुकीं
गुरदी की झोपड़ी भी बनाए नया बरस

मेरठ न बनारस में फिर इंसानियत जले
दंगाइयों के काम न आए नया बरस

फिर बढ़के अपने हक को ये मजलूम छीन लें
इक इंकलाब मुल्क में लाए नया बरस

नया साल मुबारक

1 comment:

  1. नए साल के उजले भाल पे
    लिखें इबारत नए ख्‍याल से।
    *
    21 का 11 मुबारक हो।

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