शातिरों ने पैसे को पावर में जो बदला
क्या हो गई है और सीनाजोर तरक्की
क्या हो गई है और सीनाजोर तरक्की
जाने कहां ले जाएगी घुसखोर तरक्की
घर गया, जमीन गई, गांव भी गया
सुख चैन तक तो ले उड़ी ये चोर तरक्की
कुछ हुए अमीर, कई हो गए कंगाल
कितनों को भरमाये है चितचोर तरक्की
अफसर अगर चाटेंगे चापलूसी की चटनी
पा जाएंगे जल्दी ही चुगलखोर तरक्की
कुछ लोग है विकास की ही चाशनी में तर
गंावों के किनारे खड़ी कमजोर तरक्की
न जाने कभी आएगा क्या ऐसा जमाना
उस ओर तरक्की हो तो इस ओर तरक्की
कुछ लोग है विकास की ही चाशनी में तर
ReplyDeleteगांवों के किनारे खड़ी कमजोर तरक्की
न जाने कभी आएगा क्या ऐसा जमाना
उस ओर तरक्की हो तो इस ओर तरक्की
तरक्की की यही तो असलियत है..
कुछ लोग आमिर बन गए कई लोग करीब..
हकीकत बयां करती रचना..
आपकी रचनाओ में सामाजिक पहलू
बहुत ही सूक्ष्म तरीके से दिखाई देती है...
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