कभी सेना में मामूली ड्राइवर रहे एक व्यक्ति ने सारे देश में अलख जगा दी। दिल्ली का रामलीला मैदान ही नहीं, देश के हर कोने में लोग नारे लगा रहे हैं कि अन्ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। 74 साल के ये बुजुर्गवार अचानक युवाओं के दिल की धड़कन बन गए हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, हर उम्र और हर तबके के लोगों को जैसे उनका नायक मिल गया हो। वे उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने को तैयार हैं।
दिल्ली में अभूतपूर्व नजारा है। रविवार को इंडिया गेट से रामलीला मैदान तक तिल रखने को जगह नहीं थी। लोगों के जोश को देखते यह वाकई आजादी की दूसरी लड़ाई लग रही है। यही हाल देश के दूसरे हिस्सों का भी है। गांवों के किसान और भूमिहीन मजूदर तक अन्ना की जंग में शामिल हो गए हैं। मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग भी आंदोलन में आ गए है। इससे साफ हो गया है कि आरएसएस रामदेव की तरह इस आंदोलन को नहीं कब्जा पाएगा। संघ के प्रवक्ता राममाधव को केजरीवाल ने तुरंत मंच से उतार दिया था।
बहुत कम समय में ही अन्ना के त्यागमय और निष्कलंक जीवन ने उन्हें सारे का देश का हीरो बना दिया। आज वे परिवर्तन की आवाज बन गए है। निसंदेह इसमें सिविल सोसायटी के अन्य लोगों का भी अहम योगदान है। निराश और अपने में गुम लोगों को भी रोशनी नजर आने लगी है। यह वक्त है कि हमारे रहनुमा सबक लें और जनलोकपाल बिल को पारित करें वर्ना वक्त उन्हें गहरी पटकनी देने वाला है।
अन्ना और उनके जांबाजों को सलाम करते चंद गीत
1
देश बोले अन्ना, अन्ना
देश की तमन्ना अन्ना
गाल बजाएं, चीखे चिल्लाएं
कैसे सत्ताधारी मुन्ना
अन्ना
देश बोले अन्ना, अन्ना
ऐसी अलख जगाए
देश भर को मिलाएसबको आस बंधाय
दूर होगा अन्याय
ऐसे समझाए
जैसे देश की हो अम्माअन्ना
देश बोले अन्ना, अन्ना
कैसी भ्रष्ट व्यवस्था
यहां सूझे नहीं रस्ता
हालत खस्ता और खस्ता
मद में झूमे है सत्ता एक बूढ़ा कर गया
सरकार को घुटन्ना
अन्ना
देश बोले अन्ना, अन्ना
भ्रष्टाचारी घबराये
मंत्री अफसर बुलायेकौन अन्ना से बचाये
ये तो लोकपाल लाये
गाल गए झन्ना
अन्नादेश बोले अन्ना, अन्ना
2
बोल बोल बोल...
जनता बोल बोल.....
हम करेंगे विरोध.....बोल बोल बोल...
जनता बोल बोल.....
धरना...अनशन....रैली......नारे
सत्ता डावांडोल .........
बोल बोल बोल...
जनता बोल बोल
तेरे मेरे हक को भाई
वे समझें जनता को बकरा
और बन जाए खुद ही कसाई
हम करेंगे विरोध.....
धरना...अनशन....रैली......नारे
सत्ता डावांडोल .........
बोल बोल बोल...
जनता बोल बोल
और विरोध हमरा अधिकार
तू कानून की धौंस दिखाए
एका है हमरा हथियार
हम करेंगे विरोध.....
धरना...अनशन....रैली......नारे
बोल बोल बोल...
जनता बोल बोल
पहले घोटाले करवाये
फिर जांच की नौटंकी
संसद में ऐसे चीखे हैं
जैसे जंगल में मंकी
हम करेंगे विरोध.....
धरना...अनशन....रैली......नारे
सत्ता डावांडोल .........बोल बोल बोल...
जनता बोल बोल
3
सरकार लपूझन्ना
तेरी खबर लैहे अन्ना
रिश्वत ने खाई
सारे देश की कमाई
नेता मुटाए और
बढ़ गई महंगाई
आंख वाले मंत्रियों को
पड़े न दिखाई
कांपी सरकार जब...
हुंकार भरे अन्ना
सरकार लपूझन्ना
ए राजा, सी राजा
खूब बजा गए बाजा
संसद में क्या पहंुचे
कर गए वे घोटाला
इसमें लगा दो जन
घूसखोर कांपे.......सरकार गई भन्ना
सरकार लपूझन्ना
संसद में चीखे
चिल्लाए खूब सिब्बल
जनता है पीछे और
संसद है अव्वल
हम बनाएं कानून
हम बांटें कम्बल
चीखा विपक्ष फिर.....
और चूसो गन्ना तुम
और चूसो गन्ना
सरकार लपूझन्नातेरी खबर लैहे अन्ना
4
अरा रा रा...
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
जन का समझ ले इशारा
अरा रा रा... पेश कर दइयो
चुल्लू भर पानी में डुबकी लगाये
भ्रष्टाचार के कीचड़ में नहाये
कैसी सरकार है जरा न शरमाये
जा कैसी सरकार है जरा न शरमाये
पहचान जनता का नारा
अरा रा रा....पेश कर दइयो
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
भ्रष्टाचार के कीचड़ में नहाये
कैसी सरकार है जरा न शरमाये
जा कैसी सरकार है जरा न शरमाये
पहचान जनता का नारा
अरा रा रा....पेश कर दइयो
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
टोपी पहन देखो फिर आया गांधी
टूटे दिलों को जिसने आस बांधी
गंावों तक जा पहंुची अन्ना की आंधी
क्यों संसद में बैठा नाकारा
अरा रा रा....पेश कर दइयो
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
टूटे दिलों को जिसने आस बांधी
गंावों तक जा पहंुची अन्ना की आंधी
क्यों संसद में बैठा नाकारा
अरा रा रा....पेश कर दइयो
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
जनता ने तुझको चुना है तू सुन ले
वक्त है जनता की उम्मीद गुन ले
वर्ना समझ तेरी बत्ती ही गुल है
मिलेगा जवाब करारा
अरा रा रा....पेश कर दइयो
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
वक्त है जनता की उम्मीद गुन ले
वर्ना समझ तेरी बत्ती ही गुल है
मिलेगा जवाब करारा
अरा रा रा....पेश कर दइयो
जनलोकपाल बिल ये हमारा
अरा रा रा.... पेश कर दइयो
lovely thoughts
ReplyDeletekya khoob likha hai. isake liye bahut-bahut badhayi
ReplyDeleteab in josh bhare geetoon ko jald sunane ki tamanna hai.
ReplyDeleteKya Bat hai.Bahut dino se sumarnee ka injar tha.Anna ke anndolan ka samaarthan uper se gane kya Bat.Apni team ke saath video bnakar dalo,to mza barh jaye.
ReplyDeleteजै तो बढि़या हैं।
ReplyDeleteकाफी दिनों के बाद आपकी नई रचना पढने का मौका मिला. अन्ना के समर्थन में गीत वाकई सामयिकता लिए हुए है. इसे अन्ना आन्दोलन में रामलीला मैदान में गाया जाना चाहिए.
ReplyDeleteYour poem really has a passion for people of all ages to create passion.
ReplyDeleteSo nice to read and Josh did too. So tomorrow we are going to the Ram Lila grounds.
chhavi shyam singh
पता नहीं क्यों मुझे ये गीत उतने प्रभावशाली नहीं लगे। आपके पुराने गीतों की एक गाढ़ी स्मृति है मन में, शायद इसलिए ऐसा हुआ है।
ReplyDeleteप्रिय नरेन्द्र
ReplyDeleteहमारे नगर पिपरिया जिला होशंगाबाद में अन्ना हजारे कि गिरफ्तारी के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ ने अन्ना टोपी पहन कर मोटर साइकिल रेली निकली ,आमसभा की | RSS से जुड़े विश्व हिन्दू परिषद् ने अपने स्थापना दिवस जन्माष्टमी पर अन्ना हजारे के समर्थन में सुन्दर कांड का पाठ किया || RSS से जुड़े विद्यार्थी परिषद् ने राष्ट्रीय स्तर के आव्हान के तहत स्कूल =कालेज बंद कराये | बजरंग दल व दुर्गा वाहिनी ने भी अन्ना के समर्थन में कार्यक्रम किये | RSS से जुड़े भारतीय किसान संघ ने विरोध प्रदर्शन किया |अखबारों में छपे समाचारों के अनुसार उज्जैन में आयोजित RSS के अभ्यास वर्ग में साफ़ साफ़ निर्देश दिए गए कि अन्ना या अन्ना कि टीम हमसे चाहे दूरी बनाये रखे परन्तु हमें भ्रष्टाचार के इस मुद्दे का पूरा लाभ लेना चाहिए | ये सभी संगठन अन्ना कि आड़ में कांग्रेस विरोधी माहोल बनाकर चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते है | RSS के बंधु स्वदेशी जागरण मंच की तरह इंडिया अगेंस्ट करप्शन एवं यूथ अगेंस्ट करप्शन को अपना घटक संगठन बताकर लोगो को गुमराह कर रहे है | मीडिया ने बताया कि अन्ना टीम सरकार से दो कदम आगे चल\रही थी |परन्तु RSS वाले उनसे चार कदम आगे है यह सत्य है |
रामलीला मैदान में समर्थन देने आये जातीय संगठनो के बेनर हमने टी वी पर देखे |,आरक्षण के विरोध में नारे भी हमने टी वी पर सुने | कई बाबाओ को मंच पर देखा ,अभिनेताओ को देखा |सरकार की सद्बुध्दि के लिए रामलीला मैदान में हवन होते हुए देखा | हद तो जब हो गई तब मनीष सिसोदिया जी ने पत्रकारों को बताया कि जेल कि जिस बैरक में अन्ना ठहरे थे वहाँ कैदी और जेल कर्मचारी आकर सर झुका रहे है | वो जगह तीर्थ बन गई है | जे पी आन्दोलन में हर तरह के अन्धविश्वास का विरोध किया गया था | वर्ण व्यवस्था के प्रतीक जनेऊ तोड़कर कई युवको ने अपने नाम से जाति सूचक शब्दों तक को हटा दिया था | गाँधी जी ने धार्मिक होते हुए भी कई अंध विश्वासों का विरोध किया था इसलिए उन्हें सनातनी हिन्दुओ का विरोध सहना पड़ा |
आन्दोलन का व्यक्ति केन्द्रित होना इसकी खूबी नहीं कमजोरी थी |आपातकाल में देवकांत बरुआ द्वारा इंदिरा जी की चापलूसी में कहे गए वे शब्द( इंदिरा इज इंडिया ) नए स्वरूप में दोहराए गए | संसद में जन लोकपाल के मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय सभी को इस बात की चिंता थी की अन्ना का अनशन कैसे ख़त्म किया जाय | जिन आर्थिक नीतियों के चलते हजारो किसान आत्महत्या कर रहे है,घोटालो की बाढ़ आ गई है, गैर बराबरी बढ़ी है,शिक्षा और स्वास्थ्य की दुकाने खुल गई है इस पर किसी ने कुछ कहना उचित नहीं समझा | आन्दोलन के दौर में जनता और कार्यकर्ताओ को शिक्षित करने के कोई प्रयास नहीं हुआ |
जन लोकपाल या चुनाव सुधार जैसे मुद्दे धार्मिक या सामाजिक नहीं बल्कि राजनैतिक है i इसलिए मुझे लगता है कि जनता में अराजनैतिक होने का भ्रम नहीं फैलाना चाहिए | आन्दोलन को मिले अभूतपूर्व जनसमर्थन को कोई राजनैतिक दिशा नहीं मिली तो जनता को निराशा होगी | लोगो के पास उन्ही लुटेरी पार्टियों के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा |इसलिए अराजनैतिक होने मुखौटा त्याग कर अन्ना और उनके साथियों को वैकल्पिक राजनीति को खड़ा करने की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए | साम्प्रदायिक शक्तिया अन्ना के आन्दोलन की ऊर्जा लेकर और ताकतवर ना हो जाये हमें इस बात का डर है |
गोपाल राठी
समाजवादी जनपरिषद्
सांडिया रोड, पिपरिया 461775
प्रिय गोपाल,
ReplyDeleteआपकी चिंता जायज है, लेकिन संघ खुद आत्ममंथन करने को मजबूर है कि वह अन्ना के आंदोलन का पूरा फायदा क्यों नहीं उठा पाया। राष्ट्रीय अखबारों में इस पर काफी कुछ छपा है। यह जरूर है कि कई जगह संघ के संगठनों-संस्थाओं ने अन्ना जिंदाबाद किया, पर महत्वपूर्ण बात यह है कि दशकों बाद समाज का ऐसा तबका भी बाहर निकला जो अमूमन धरना-प्रदर्शनों से बहुत दूर रहता है। यह सिर्फ दिल्ली की बात नहीं है। देश में कई जगह धर्मनिरपेक्ष सोच वाले लोग भी बाहर निकले जो पहले कहीं नजर नहीं आते थे। अन्ना के आंदोलन से बहुत ज्यादा अपेक्षा करना ठीक नहीं है। यह एक खास मुदृदे को लेकर था और अंत में देश बनाम संसद में तब्दील हो गया। अन्ना के आंदोलन ने गांधी के सत्याग्रह के औजारों को धो मांजकर तैयार कर दिया है। जनमानस का रुझान भी नजर आ रहा है। अगर अन्ना कोई लंबा आंदोलन छेड़ पाए तो कुछ अलग होने की उम्मीद है। और रही व्यक्तिकेंद्रीत होने की बात, तो किसने बिना नायक के लड़ाई जीती है? संघर्ष चाहे स्थानीय हो या राष्ट्रीय बिना नेतृत्व के उसे लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता। तुम्हारी यह बात सही है कि बिना वैकल्पिक राजनीति को खड़ा किए संसद को जवाबदेह नहीं बना जा सकता। आज के संसदवीर जनप्रतिनिधि की तरह नहीं, मालिक की तरह व्यवहार करते हैं। तमाम आलोचना के बावजूद अन्ना को इतना श्रेय तो दिया जाना चाहिए कि उन्होंने देश के ठहरे हुए पानी में पत्थर फेंकने का साहस दिखाया है।
नरेंद्र कुमार मौर्य